आगे बढ़ो–भय न करो!
परमात्मा साथ है।
फिर, निष्पाप तेरा चित्त है।
और, ध्यान-विस्फोट का क्षण भी निकट है।
भीतर जो कुछ भी हो रहा है
वह सब उसी क्षण की पूर्व तैयारी है।
बाधाएं जो प्रतीत होती हैं, वे बाधाएं नहीं हैं।
वे परीक्षाएं हैं।
मार्ग पर जो पत्थर मिलते हैं, वे शत्रु नहीं, मित्र हैं।
उन्हीं को सीढ़ियां बनाना है।
वे सीढ़ियां बनने के लिए ही, मार्ग पर हैं।
फिर, जरूरत होगी तो परमात्मा धक्का भी देजा!
लेकिन, वह तू परमात्मा पर छोड़।
उसकी चिंता तुझे नहीं लेनी है।