स्वयं में खाली जगह बनाओ

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सत्य को जरूर खोजो।
लेकिनसत्य को खोज वही पाता है, जो खोजते-खोजते स्वयं खो जाता है।
‘स्व’ का पूर्णतया खो जाना ही सत्य का पूर्णतया आ जाना है।
सत्य के आगमन के लिए आंतरिक अवकाश (Innwer Space) चाहिए न?
स्वयं में जगह बनाओ।

स्वयं को स्वयं से भरा रखा, तो सत्य आएगा कहां?
रिक्त बनो।
शून्य बनो।

और फिर, सत्य का सागर उस शून्य को सहज ही भर देता है।

कबीर ने गाया है: ‘हेरत हेरत हे सखी, रह्या कबीर हेराई।
इसलिए, मैं कहता हूं: ‘जिन्होंने स्वयं को खोया, उन्होंने ही सत्य को पाया।