The death of the ego will be the beginning of your real life

फूटा बबूला (Bubble) अहंकार का

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न जन्म है, न मृत्यु है।
बस, जीवन है।
अनादि, अनंत।

वह जन्म के पूर्व भी है।
अन्यथा, जन्मता कौन?

वह मृत्यु के बाद भी है।
अन्यथा, मरता कौन?

जन्म जीवन का आरंभ नहीं है।
मृत्यु जीवन का अंत नहीं है।

जन्म और मृत्यु जीवन में घटी घटनाएं हैं।
जैसे, पानी का बबूला नदी में बनता और मिटता है।
ऐसे ही, व्यक्ति का बबूला जीवन में बनता और मिटता है।

इस बबूले का नाम ही अहंकार है।
निश्चय ही, इसका जन्म भी है और इसकी मृत्यु भी है।
जन्म और मृत्यु के बीच में जो घटता है, उसका ही नाम अहंकार है।

इसलिए ही, जो अंहकार (Ego) में है, वह जीवन से अपरिचित ही रह जाता है।
जीवन को जानना है, तो अंहकार से जागना होता है।
बबूला भूल ही जाता है कि वह नहीं है, बस सरिता ही है।